Friday, August 11, 2006


मेरे दिल से मत पूछो इसमें क्या है...




वो पुछते हैं हमसें कि हम क्या छुपाते हैं…

चलो आज हम अपने दिल की दास्तां सुनाते हैं…

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मेरे दिल से मत पूछो इसमें क्या है…

कुछ प्यार की बातें… कुछ ददॅ के नग़मे हैं…

कुछ ख्वाब के घऱौदें… कुछ टूटे सपने हैं…

कुछ यादों के शोर… कुछ चुप सी तन्हाई है…

कुछ सुबह की किरणें… कुछ रात की गहराई है…

कुछ तमन्नाओं की उड़ान… कुछ ज़मीं पे बिखरे कण हैं…

कुछ साथ के वादें… कुछ अकेलापन हैं…

कल जल रहे दिये थें… आज राख़ रह गया है…

मेरे दिल से मत पूछो इसमें क्या है…

मेरे दिल से मत पूछो इसमें क्या है…

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